Tuesday, April 14, 2009
राहुल बाबा पीएम बनेंगे...
कई दिनों से उलझन में हूं, कभी खीज होती है और कभी हंसी आती है। लेकिन समझ में नहीं आता कि राहुल गांधी में भारत का प्रधानमंत्री बनने के सारे गुण एकाएक कैसे आ गए। क्या प्रधानमंत्री के गुणों का कोई इंजेक्शन लगता है या कोई टॉनिक है जिसे पीते ही प्रधानमंत्री गुण किसी व्यक्ति के शरीर में समा जाते हैं। हो सकता है कि विदेश में ऐसी कोई दवा इजाद हो गई हो। तभी तो कांग्रेस का हर छोटा बड़ा नेता यही कहता दिख रहा है कि राहुल बाबा में पीएम बनने के सभी गुण है और उन्हें पीएम बनाया जाना चाहिए।
मजे की बात है कि खुद पीएम मनमोहन सिंह भी मरे मन से लेकिन कहते नजर आ रहे हैं कि राहुल बाबा में पीएम बनने की सारी योग्यताएं है। अब क्या पता उन्होंने पीएम की अपनी कथित (?) योग्यताएं राहुल बाबा को शिक्षा में दे दी हों। आखिर सोनिया मैडम का अहसान जो उतारना है। लेकिन फिर भी बात हजम नहीं होती।
संसद में भाषण के दौरान कलावती रटने वाले राहुल बाबा में ऐसा क्या है जो देश के किसी और अनुभवी और योग्य नेता में नहीं है। क्या देश को प्रधानमंत्री देेने का ठेका आजीवन के लिए नेहरू खानदान को दे दिया गया है या, राहुल विदेश में पीएम बनने के स्पेशल गुण लेकर देश का भविष्य सुधारने आए है। जुम्मा जुम्मा चार या पांच साल राजनीतिक अनुभव (कागजी तौर पर) के आधार पर एक अनुभवहीन (सही कहा, समय तो राजनीति में गुजारा, लेकिन प्राप्त कुछ नहीं कर पाए)व्यक्ति को क्यूंकर प्रधानमंत्री पद का दावेदार बताया जा रहा है। क्या इसे महज चाटुकारिता नहीं कहा जाएगा। केवल दलित के घर भोजन कर लेने से या अमेठी या रायबरेली की जनता के हित में आवाज उठा देने से कोई प्रधानमंत्री जैसे पद के योग्य बन सकता है। उनकी बहन का कहना है कि प्रधानमंत्री बनने से पहले वो राहुल बाबा को दूल्हा बनता देखना चाहती है। यानी प्रधानमंत्री बनना तो तय है, दूल्हा बनने में कुछ शंकाएं हो सकती हैं।
देश की समस्याएं और हालात इतने संवेदनशील हैं कि पचास साल राजनीति में बिताने वाला व्यक्ति भी इन्हें नहीं संभाल सकता, और यहां राहुल बाबा को कमान देकर क्या कांग्रेस देश के साथ खिलवाड़ करने का सपना नहीं देख रही है। जरूरी नहीं कि राहुल के एवज में भाजपा को जिताया जाए या किसी खास पार्टी को वोट किया जाए। जरूरत ये है कि जो भी पार्टी सत्ता में आए वो किसी जिम्मेदार व्यक्ति को ही पीएम पद पर बिठाए ताकि उससे देश में सुधार की कुछ उम्मीद की जा सके।
मन उम्मीद करता है ....काश कलाम जैसे कुछ और नेता होते तो क्षुद्र राजनीति से उठकर देश के लिए सोचने वालों की इतनी कमी न महसूस होती।
at
10:03 PM
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13 comments:
ओज्जी, हमें तो गुलामी की आदत है, हमारे बाप गुलामी का जीवन जिया, हमारे दादा परदादा ने गुलामी का जीवन जिया, एसे कैसे अपनी गुलामी छड्ड दें?
वो क्या कहते हैं, इंग्रेजी में, गुलाम ही अपने बंधनों का सबसे बड़ा समर्थक होता है
ये तो वक्त बताएगा।
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तस्लीम
साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन
कलाम को तो सबने दुबारा राष्टपति ही बनने नहीं दिया ...वैसे मुझे तो कोई भी काबिल नजर नहीं आता ??
dekhiye jee,
rahul baba hon ya manmohan dada ya apnee sonia tayee, desh kaa haal nahin badalne waalaa, koi netaji subhaash chaahiye dande wala....
सबसे बड़ी योग्यता तो नेहरू खानदान का होना ही है. और क्या चाहिए आपको? राजतंत्र की "जय हो..."
वैसे देश का तंत्र इतना गिर चुका है कि प्रधानमंत्री कोई भी बने,, उसे चलना इसी तंत्र के अनुसार होगा..
हां
शायद संमुद्र मंथन के समय निकला सारा अमृत उस समय नेहरू गांधी खानदान को पिला दिया था जो
अब तक सारे गुण इन्हीं में होते हैं बाकी किसी में नहीं हो सकते
हो ना हो नेहरू खानदान के पास ऐसी कोई गुट्टी जरूर है जिस कारण हरेक कांग्रेसी नेहरू की जी हजूरी करने लगता है।
राहुल जी के साथ गांधी लगा है.....
अब आप क्या चाहते है????
प्रधानमन्त्री बनने के लिए इतना ही काफी है....हिंदुस्तान में...
हम गली गली मर रहे है....लेकिन ....फिर भी
जय हो.......
जय हो.......
सटीक चिंतन..
प्रधानमन्त्री बनने के लिए राहुल को अभी और अनुभवी बनना होगा।
आप ने बहुत सही बत कह् दी है कुछ लोगो को बुरा तो लगेगा ही ,काफी भड़ास है आप के मन में ....लिख डालिये
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