Tuesday, November 25, 2008

फैशन का है ये जलवा

कल रात को हमने फ़िल्म फैशन देखी. प्रियंका चोपडा की मुख्य भूमिका से सजी ये फ़िल्म फैशन जगत की सही सच्चाई को बया कर रही थी. पूरी फ़िल्म में प्रियंका एक ऐसी मॉडल के किरदार में थी जो सुपर मॉडल बनने के लिए कुछ नही, बहुत समझौते करती जाती है अपना घर परिवार, शहर,दोस्त और प्यार सब छोड़ देती है. और जब उसे ठोकर लगती है तो वो पाती है कि उसके हाथ में कुछ नही है.. फ़िल्म में सोनाली के किरदार में कंगना ने बेहतरीन काम किया है और जेनेट के रोल में मुग्धा अच्छी लगी है. फ़िल्म में दिखाया गया है कि समझौते करने के बाद लड़किया अपने सुपर मॉडल के सपने पूरे कर रही हैं और ऊपर जाने की धुन में वो नीचे गिरती जाती है. ये दुनिया कभी किसी की नही हुई ना शोनाली की और न ही मेघना की. फ़िल्म में लिव इन भी दिखाया गया है. फ़िल्म में दिखाया है कि यहाँ अच्छे लोग भी हैं और वो बाद में काम भी आते है. जेनेट जैसी लड़किया भी है जो सम्लेंगिक युवक से इसलिए शादी कर लेती है की पति न सही अच्छा घर और अच्छा दोस्त तो मिल जाएगा. सरीन के रूप मैं एड एजेंसियों के मालिको का असल चेहरा सामने आया है. पार्टी में जाने पर नई मॉडल को पैसे मिलने की बात भी नई लगी. प्रियंका का प्रेग्नेंट होना और शोनाली का नशे की लत मैं सड़क पर आ जाना संवेदनशील कर गया. पूरी फ़िल्म मैं प्रियंका को एरोगेंट दिखाया गया है. आई ऍम बेस्ट के भ्रम मैं रहने वाली प्रियंका जब सुपर मॉडल का खिताब छिनने के बात नशा करती है तो कोकीन के नशे में किसी अश्वेत के साथ हमबिस्तर हो जाती है और नशा खुलने पर अपनी दशा पर पछताती है. फ़िल्म का ये सीन जबरदस्त और फैशन के दुनिया का घिनोना चेहरा दिखा गया.
कुल मिलाकर फ़िल्म अच्छी थी. मधुर ने फ़िल्म और फैशन के साथ सही न्याय किया है. फ़िल्म नेट से डाउनलोड की थी. रात को डेढ़ बजे फ़िल्म देखकर सोये तो हमारा मन्नू भी जग रहा था. सुबह ऑफिस की भागमभाग रही पर अब नींद आ रही है. अभी दिल और आँखों में फैशन का ही खुमार है.

4 comments:

डॉ .अनुराग said...

मधुर का वैसे प्रशंसक हूँ पर यहाँ फ़िल्म काफ़ी हद तक "devil wears parda" का हिस्सा नजर आती है

admin said...

फिल्‍म की समीक्षा पढकर हकीकत मालूम हुई। अब देखने की इच्‍छा हो रही है। वैसे आपने उसे डाउनलोड कहॉं से किया, पता चल जाता तो हम भी मुफत......

Anonymous said...

मधुर भंडा्रकर की फिल्मे् वास्तविकता के का्फी करीब होती है..

आपने अच्छी समी्क्षा लिखी.. हम ्भी देखते है..

Gaurav Baranwal said...
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