प्रेम कैसे होता है और प्रेम होने पर कैसा लगता है। आमतौर पर माना जाता है कि जिसे देखकर दिल धड़के उससे प्रेम हुआ समझो। लेकिन वैज्ञानिकों ने प्रेम की पूरी प्रक्रिया को अपनी ही भाषा में समझाने की कोशिश की है। आइए आपको प्रेम की वैज्ञानिक परिभाषा बता देते हैं।
पीईए यानी लव रसायन
फिनाइल इथाइल एमाइन यानी पीईए को प्रेम का रसायन कहा जाता है। यही वह रसायन है जो प्रेम के समय दिमाग में सुरूर पैदा करता है। प्रेम के समय या कहे, अपने प्रियतम को देखते समय इसी रसायन का स्त्राव होता है और धीरे धीरे ये पूरे शरीर में फैल जाता है। ऐसे में पूरे शरीर में एक सुरूर पैदा होता है, दिल की धड़कनें बढ़ जाती है, इंद्रियां क्रियाशील हो जाती हैं। हालांकि यह रसायन तेज झूला झूलते समय, ऊंचाई से नदी में छलांग लगाते समय, चाकलेट खाते समय और तेज गाड़ी चलाते समय भी स्त्राव होता है।
दिल क्यों धड़कता है
जब युवा किसी ऐसे के पास पहुंचते हैं जिसे वो सबसे ज्यादा प्यार करते हैं तो दिल धड़कनें लगता है। लगता है जैसे दिल उछलकर बाहर आ जाएगा। उस समय मस्तिष्क में नोरेप्राइनफीन नामक रसायन का स्त्राव हो रहा होता है। यह रसायन एड्रेरनाइलान हारमोन्स को बढ़ावा देता है।
उन्हें देखकर खुशी क्यों
प्रियतम को देखकर खुशी क्यों महसूस होती है। दरअसल सेराटनीन नामक रासायनिक रिसाव से हमें खुशी महसूस होती है। आसान भाषा में इसे दिमाग का न्यूरोट्रांसमीटर कहते हैं जो इच्छित व्यक्ति की पहचान कराकर खुशी के हारमोन बढ़ाता है।
अब तो आप समझ गए होंगे कि प्रेम, प्यार यानी लव क्यों और कैसे होता है। जब भी किसी को देखकर सुरूर पैदा हो तो जान जाइएगा कि लव रसायन काम कर रहा है। वैसे आज वसंत पंचमी के दिन मौसम भी है और मौका भी। तो जरा लव कैमिस्ट्री हो ही जाए।
Friday, January 30, 2009
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5 comments:
sach hi kaha hai, aise hi log dil ko badaam kiye jate hai. kasor to sara rasaayan ka hai
प्रेम रसायन पर बढियां जानकारी !
बहुत सुंदर, बहुत अच्छी जानकारी
धन्यवाद
अरे वाह, मतलब सब केमिकल लोचा है :-)
लेखन में गंभीर विषयों से परहेज है और मन मुताबिक जो दिमाग में आया लिख मारा... मन पगलाया सा उन्मुक्त खुले आसमां में उड़ना चाहता है....
Thik hi likha hai aapne apne baare meN.
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