काफी दिन बाद ब्लॉग लिखने की हिम्मत जुटाई है। दरअसल आंखों का सी-लेजिक आपरेशन कराया था तो डॉक्टर ने कंप्यूटर से दूर रहने के लिए कहा था। इसीलिए कुछ लिख नहीं पाए थे। १३ किलो के आलू के बाद आज कुछ लिखने की हिम्मत जुटा पाए तो सोचा अपने ऑपरेशन की जानकारी देते चले। वैसे हमारा आपरेशन तो काफी पहले हो गया था लेकिन कुछ दिन के परहेज के लिए डॉक्टर सलाह देते हैं, इसलिए बिलागिंग से दूर ही रहे। अब आंखें ठीक हैं और हम बिना चश्मे या लैंस के सब कुछ साफ साफ देख पा रहे हैं।
वैसे इतने दिनों में काफी सारा पानी यमुना में गुजर गया राजू का असत्य, शेयर मार्केट की धड़ाम, स्लमडॉग मिलयेनेयर और जाने क्या क्या। पेट्रोल के दामों पर तनातनी और अफवाहों का बाजार चल रहा है। सच कहें, अगर दस रुपए सस्ता हो गया तो हम पक्का कांग्रेस को वोट दे बैठेंगे।
कुछ दिन तो समाचारों से भी दूर रहे, लगा जैसे जिंदगी बोर बोर सी है। पहले ऑफिस जाते थे तो दिल कहता था, काश कई दिन की छुट्टी मिले तो जी भर कर सोएंगे। अब कई दिन घर पर रहे तो दिल ऑफिस जाने के लिए करता रहा। अच्छा लग रहा है, लिखना भी और दूसरों को पढऩा भी।
सच कहें तो समीर भाई, अनुराग जी, आदित्य रंजन, रचना और फुरसतिया को बहुत मिस किया। सबसे पहले लपूझन्ना देखा और फिर इन्हीं लोगों के ब्लॉग पड़ डाले। बाकियों को फुरसत में पढ़ेंगे।
दिल्ली के चौधरी आई सैंटर में आपरेशन हुआ और ऑपरेशन में २५ हजार रुपए खर्च हुए। वैसे ऑपरेशन महज दो मिनट का होता है और थोड़ा सा दर्द भी होता है लेकिन सर्जरी जैसी कोई चीज नहीं होती। उसके बाद कुछ दिन का परहेज रखना होता है जैसे पानी नहीं लगाना, रोना नहीं, खाना नहीं बना सक ते। वैसे तो आपरेशन के तुरंत बाद ही साफ दिखना आरंभ हो गया था लेकिन एक जनवरी की सुबह बिना लैंस लगाए घड़ी देखी तो बड़ा सकून मिला। अब कंप्यूटर पर भी काम कर रहे हैं तो दिक्कत नहीं है।
आज इतना ही....बाकी बाद में
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Friday, January 23, 2009
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