हिमालय सदियों से यात्रियों परवातारोहिओं, तीर्थयात्रियों और तपस्विओं को आकर्षित करता आ रहा है. बर्फ से ढकी इसकी चोटिया और विशाल ग्लेशिअर लोगो को अपनी प्रवीणता और साहस को बनाये रखने के लिए प्रलोभित करते रहे है. साधू और सन्यासी तो अमरनाथ जा रहे है पुण्य कमाने, चले हम भी अमरनाथ की यात्रा के बहाने हिमालय की कुछ अनछुई सुन्दरता से वाकिफ हो लें..हिम रेखा से आठ हजार फुट नीचे , प्रकृति आपको अनवरत रूप से यह खड़ी चोटियों के शांत वैभव से नीचे जल्प्रपाती झरनों लहलहाते हरे भरे वनों फूलों की चादर ओढे चारागाहों और पेड़ पौदों के एक ऐसे संसार मैं ले जायेगी जहां मोती जैसे अल की नदियां बहती है और प्रकृति आपको एक स्पंदित करने वाले दूसरे ही संसार मैं ले जायेगी. हिमालय अपने आप मैं एक अनोखा, अनछुआ और शांत संसार समेटे हुए है. यहां कई गांव बसे हुए हैं. यह के लोगो तो ये तो पता है कि दिल्ली और मुम्बई कहाँ है लेकिन हर किसी की तरह दिल्ली या मुम्बई जाने का उतावलापन नही. यहां के निवासी अपने आस पास के वातावारण के लिए स्पंदित भी हैं और आधुनिक सभ्यता की अनिश्चितता से अनजान भी. पुरातन काल से ही हिमालय की चोटियों पर शांति की तलाश मैं जो तपस्वी गए, वो वही के होकर रह गए. वह उन्होंने देवाश्र्य, तीर्थस्थल और आश्रम बनाये जो हिंदू समाज के पारिवारिक नामो से मिलते होने के कारण ये प्रसिद्ध हुए. कहते हैं कि हिमालय पर सबसे पहले पहुचने वाले साधू नही वरन शिकारी और चरवाहे थे. इनके पास हिमालय की चडाई के लिए कोई विशेष प्रशिक्षण या आरोही तकनीके नही थी. बस कुछ नया जरूरत और लगातार परिश्रम के चलते इन्होने हिमालय कर जीवंतता को खोज निकाला. ये दुर्गम चोटिया और बर्फीली चादरों से ढके शिखर आम जन के लिए ईश्वरीय निवास है तो जोशीले और चुनौती पसंद लोगो के लिए शान्ग्रीला.
बाकी बाद में...
Tuesday, June 17, 2008
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2 comments:
ब्लॉग की दुनिया में आपका स्वागत है. उम्मीद है आप निरंतर लिखते रहेंगे.
सुरेश कुमार
हिन्दी ब्लॉगजगत में आपका स्वागत है. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाऐं. अच्छा लिख रही हैं. जारी रहें.
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