Wednesday, June 25, 2008
तिरंगा या माल्या...
अभी हाल ही में लॉर्ड्स के मैदान पर भारतीय क्रिकेट टीम ने विश्व कप जीतने की 25 वी वर्षगाँठ मनाई. 83 की विश्व कप विजेता टीम के साथ साथ बीसीसीआई के चेयरमैन शरद पवार भी वहां मौजूद थे. और एक शख्स था वहां, जिस पर सबकी नजरें थी, विजय माल्या. विजय माल्या आइपीएल की एक टीम का मालिक है, गौर करने वाली बात ये है कि पूरे लॉर्ड्स के मैदान में एक भी तिरंगा नही दिखाई दिया. पूरे जश्न में, जहां भारत की विजय को गर्व के साथ याद किया जा रहा था, वहां भारत के ही गौरव का प्रतीक चिहन नजर नही आया. टीवी स्क्रीन पर जो चीज़ बार बार दिखाई दे रही थी, वो था विश्व कप विजेता खिलाडियो के कंधे पर लगा यूबी ग्रुप का बेज. यूबी ग्रुप के मालिक विजय माल्या इस जश्न में इस तरह शामिल थे जैसे 83 के वर्ल्ड कप में उन्होंने ही टीम इंडिया की कोचिंग की हो. तिरंगा तो कहीं माहि था, था तो केवल यूबी ग्रुप का बेज. व्यवसायीकरण आज क्रिकेट पर इतना हावी हो गया है कि खेल भावना और देश भावना सेकेंडरी हो चली हैं. वो खिलाडी जो २५ साल पहले इतनी ख्याति पा चुके हैं, कि हर कोई उन्हें सलाम करता है, आख़िर उन्हें या बीसीसीआई को ऐसी क्या जरूरत पड़ गयी कि उन्हें शराब कि कंपनी चलाने वाले माल्या को साथ लेना पड़ा. आई पी एल तो खैर बाजारवाद से उपजी मानसिकता का प्रमाण है, लिकिन 83 के मैच विजेताओं को माल्या से कैसा प्रेम. जाहिर है, माल्या चाहे तो इन बुध गये खिलाडियो को किसी विज्ञापन में दिखा दे तो कुछ पैसा इन्हे भी मिल जाए. या फिर इन्हे आईपीएल की अपनी रोएल चेलेंज में ही कोई नौकरी दे दे. बीसीसीआई को भी माल्या से पैसे की उम्मीद है. तभी तो पूरे जश्न में पवार माल्या को साथ साथ लिए फिरते रहे. लॉर्ड्स के पवेलियन में यूबी और गीतांजलि के बैनर तो दिख रहे थे लेकिन अपने देश के सम्मान तिरंगे को कहीं लगना किसी को ध्यान नही आया. या फिर तिरंगा जान बूझकर नही लगाया गया. आज के खिलाडी देश के लिए नही पैसे के लिए खेल रहे है, ये तो सभी कहते हैं लेकिन पुराने खिलाड़ी इस खेल में कुछ ढीले पड़ गये है. अब मौका है तो वो भी पैसे की इस बहती गंगा में देर से ही जरा तर तो हो जायें डुबकी न सही हाथ तो धो ही लें. फिर पानी चाहे माल्या का हो या किसी और का.
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2 comments:
Dress ka kharch, party sarty ka kharch, england jaane ka kharch ye sab kahan se aayega? ye sponsership ka jamana hai. Malya jee ko to dhanyavad dena chahiye ki 83 ka world cup re-celebrate karne aur baaki sabhi purane purane khiladiyon ke ek saath laane me madad kiye. BCCI dene me kum aur lene ke jugad me jyada rahta hai.
बी सी सी आई ने कभी नही कहा की ये इंडिया की टीम है.. उनका कहना है ये बी सी सी आई की टीम है.. दूसरे देशो की टीम के कपड़ो पर उनके देश का झंडा होता है.. मगर इंडियन क्रिकेट टीम में ऐसा नही है.. ग़लती हमारी ही है की हम बी सी सी आई की टीम को भारतिया टीम मान बैठे है..
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