एक आग है वो जो घरभर को जला दे, एक आग है वो जो धुआं सा उठा दे. गर आग ये लग जाए तो रहबर को सज़ा हो जाए...... हम आग मोहब्बत की दामन में लपेटे हैं. उनके दिल में जो भड़के तो मज़ा हो जाए.
दिल्ली मैं पैदा हुई और दिल्ली में ही पली बढ़ी. पेशे से पत्रकार हूँ और मन से एक ऐसी लेखक जिसकी कलम कोई बंधन नही मानती. लेखन में गंभीर विषयों से परहेज है और मन मुताबिक जो दिमाग में आया लिख मारा... मन पगलाया सा उन्मुक्त खुले आसमां में उड़ना चाहता है....और तो और अपने बेटे का नाम भी मैंने मन रखा है ताकि वो आजादी से मेरे सपनो के आसमां में उड़ सके.
4 comments:
is aag ko hamara salaam ji.
kamaal kar ditta tussi.
maja aa gaya ji.is aag ko aur adhik bhadkayie,hamari badduaayein aapke sath hain.hahahaha....
वाह क्या बात है
बहुत सुन्दर लिखती है आप ..
bhut sundar.
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