Friday, July 4, 2008

एक आग है

एक आग है वो जो घरभर को जला दे, एक आग है वो जो धुआं सा उठा दे.
गर आग ये लग जाए तो रहबर को सज़ा हो जाए......
हम आग मोहब्बत की दामन में लपेटे हैं. उनके दिल में जो भड़के तो मज़ा हो जाए.

4 comments:

आलोक साहिल said...

is aag ko hamara salaam ji.
kamaal kar ditta tussi.
maja aa gaya ji.is aag ko aur adhik bhadkayie,hamari badduaayein aapke sath hain.hahahaha....

Satyendra Prasad Srivastava said...

वाह क्या बात है

खेमकरण ठाकुर said...

बहुत सुन्दर लिखती है आप ..

Anonymous said...

bhut sundar.