दिल्ली मैं पैदा हुई और दिल्ली में ही पली बढ़ी. पेशे से पत्रकार हूँ और मन से एक ऐसी लेखक जिसकी कलम कोई बंधन नही मानती. लेखन में गंभीर विषयों से परहेज है और मन मुताबिक जो दिमाग में आया लिख मारा... मन पगलाया सा उन्मुक्त खुले आसमां में उड़ना चाहता है....और तो और अपने बेटे का नाम भी मैंने मन रखा है ताकि वो आजादी से मेरे सपनो के आसमां में उड़ सके.
5 comments:
sundar abhivyakti.likhte rahen..
अच्छा मुक्तक लिखा, जारी रखें।
चार पंक्तियों में ही मन को परिपूर्णता के साथ प्रस्तुत किया आपने । धन्यवाद ।
is man ko yunhi banaye rakhiye....
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