Saturday, June 21, 2008

हाय री महंगाई निकल भागी

आजकल की ताजा और तीखी ख़बर. महंगाई ११ के फेर से निकल भागी. . कमबख्त, काफ़ी दिनों से फिराक में थी. छलांगे लगना जो आ गया था, रोज ही पहले से ज्यादा लम्बी छलांग लगा रही थी. इससे पहले कि कोई रोके, एक लम्बी कूद मरी और हो गयी ११ के पार. अब लकीर पीटते रहो वो वापिस नही आने वाली. सयानों ने काफ़ी समय से आगाह कर रखा था कि छोरी पर ध्यान दो वरना हाथ से निकल गयी तो आटे दाल का भावः पता पड़ जायेगा. लेकिन सरकार ने एक ना सुनी. अब मलो हाथ, चाहे तेल वालो को कोसो या आर्थक मंदी का हवाला दो, गयी चीज़ हाथ में वापिस नही आती. लेकिन किसने उकसाया महंगाई को. वो तो ऐसी नही थी. अपनी हद से कभी कभी ही बहार आया करती थी और सरकार भी तब ये कह कर उसका बचाव कर लिया करती थी ही विकासशील देशों में ऐसा होता रहा है. अब वो ही सरकार मुह छिपाए घूम रही है. दरअसल महंगाई की आदत को बिगाड़ा भी सरकार ने ही था. उसे छलांगे लगाना भी तो इसी सरकार के राज में आया. इसी सरकार ने इसे भड़काया और अपनी जेबें गरम की. और अब सरकार के पास कहने के लिए कुछ नही है. गली मुहल्ले वाले विरोधी भाजपाई तरह तरह के ताने मारकर जीना मुहाल किए दे रहे हैं, वाम दल रुपी पति महोदय तो घर से निकाल देने पर उतारू है. सरकार थार थार कांप रही है. अगले साल चुनाव है और सर पर ये आफत. अब तो नैया जरूर डूबेगी., नाक कटेगी सो अलग. महंगाई के पर कातने के लिए वित्तमंत्री भइया और दूसरे भाईयों ने खूब कोशिश की लेकिन वो नही मानी. अब सोनिया आंटी भी कुछ नही बोल रही. सबसे ज्यादा चोट तो बेचारी जनता को लगा है. उसे आटे दाल का ही नही, तेल और साबुन का भी भावः पता चल गया है. वो भावः जो उसे कभी नही भूल पायेगा. सब्जी भी महंगाई के निकल भागने के साथ ऊंचाई पर जा रही है. टमाटर तो टमाटर, आलू भी सीना तान रहा ही. भिन्डी हो या तुरई, सब हलकान करने पर तुले हैं. शिमला मिर्च भी तीखी होने लगी है. अब किसे क्या कहे.... सेलेरी बढती है २ रुपये और महंगाई बढती है ५ रुपये. अब ये तीन रुपये कहां से लायें.चोरी करें या डाका डालें. चलो डाका ही दाल लेते हैं. पकड़े गये तो मुकदमा पूरा होने तक जेल में रोटी दाल तो मिल ही जायेगी. चोरी करने के लिए कुछ सोचना पड़ेगा. आजकल पुलिस वाले जब चोरी के इल्जाम में जेल में डालते हैं तो बाहर आदमी नही उसकी लाश आती है. तो फिर चोरी का प्लान केंसिल डाके की योजना बनाई जाए. अब ये महंगाई और आगे भागी तो कतल न करना पड़ जाए. सुना है कतल के आरोपिओं को तो सुप्रीम कोर्ट खोज खोज (चाहे कितने ही साल क्यों न गुजर जायें.) कर सजा देता है.

1 comment:

समयचक्र said...

sach hai mangaai ne to log ka jeena haraam kar diya hai.kripaya mera blaag samayachakr dekhe jisame mahangaai ki thodi si charcha ki hai . dhanyawaad.
http://mahendra-mishra1.blogspot.com