अभी हाल ही में फोर्ब्स पत्रिका ने टॉप 150 कुबेरपतिओं की बेटियो के बारे सर्वेक्षण किया जिसमे लक्ष्मी मित्तल और रिलाएंस के मुकेश अंबानी की बेटियों ने बाजी मारी. लक्ष्मी मित्तल की बेटी वनिशा (इसकी शादी में मित्तल ने छह करोड़ डॉलर खर्च किए थे.एक भाई है और दोनों के नाम पर ही मित्तल की अकूत सम्पति है.) का नाम सबसे ऊपर रहा. दूसरे नंबर पर रही मुकेश की १६ साल की बेटी ईशा (एकमात्र संतान, रिलाएंस में फिलहाल आठ करोड़ की हिस्सेदारी, मुकेश की एकमात्र वारिस) और तीसरे नंबर पर रही भारतीय कुबेरपति कुशलपाल सिंह की बेटी पिया सिंह. यानि पहले तीनो स्थान भारतीय बेटियों के नाम रहे. दुनिया भर के अरबपतियों में सबसे ऊपर भारतीय और उनकी बेटियाँ. मन में एक गर्व सा आ गया. भारत तरक्की कर रहा है. इन बेटियों पर हमें गर्व है और उम्मीद भी की अपने पिताओं की तरह ये भी दिन दूनी और रात चौगनी तरक्की करेंगी.
तस्वीर का एक पहलू ये है जहा भारतीय पिताओं के साथ साथ उनकी बेटियों की भी दुनिया भर में धूम मची है और तस्वीर के दूसरा पहलू वो है जहाँ मजबूर और गरीब भारतीय बाप धन के अभाव में बेटी की शादी उससे दुगनी उम्र के आदमी के साथ कर रहा है. कहीं पेट भरने के लिए बेटियाँ दूसरे घरो में कामकर रही हैं और कुछ शरीर बेच रही है. कुछ दहेज़ के लिए जलाई जा रही है और कुछ खुद ही दहेज़ एकत्र करने के मिशन में मशीन बन कर काम किए जा रही है. एक ही वर्ग में इतनी असमानता भारत में ही देखने को मिल सकती है. कुछ बेटियों का भविष्य सूरज की तरह उजला है और कुछ का रात की तरह काला जहाँ सवेरा कब होगा पता नही.
एक तरफ़ वनिशा, ईशा और पिया और दूसरी तरफ़ ये बेटियाँ, समझ नही आता भारत की असली तस्वीर कहाँ है. ....
Tuesday, September 2, 2008
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7 comments:
bahut hi acchi kavita hai.
betion ko tatality mai parstut kar aapne sraahneey kaam kiya h ai...
bhadhaaee
सीधा सादा मामला है की भारत में भरी आर्थिक विषमताये है.....अकूत धन केवल चंद लोगो के पास है....
achchi post
Baat aapki so feesadi sahi hai ki aarthi vishmata hamare desh men bahut jyada hai parantu ismen dosh betiyon ka to katai nahin hai. Itna jarur hona chahiye ki jo aaj teen betiyon ki baat ki ja rahi hai unko un gareeb betiyon ke liye bhi kuchh thos kadam uthane chahiyen jinka aapne jikra kiya hai.Khoob jyada jo ameer hain agar ve khoob jyada jo nirdhan hain unka thoda sa bhala karne ki sochane bhi lagen to bahut kuchh ho sakta hai. Aapki post achhi hai.
कुछ बेटियों का भविष्य सूरज की तरह उजला है और कुछ का रात की तरह काला जहाँ सवेरा कब होगा पता नही.
यही तो हमारे देश का दुर्भाग्य है।
बहुत ही सुन्दर लिखा हे आप ने, यह फ़र्क भी तो इन गरीबो के हिस्से को खा कर आया हे , जो सारा दिन काम करे , मेहनत करे वह भुखा मरे, जो अपने दिमाग से देश को लोगो को चुना लगाये वो ऎश करे....
मेने एक दोहा पढा था बचपन मे ...
बडा हुया तो क्या हुआ, जेसे पॆड खजुर...
पथिक को.......
वेसे यह चन्द अमीर भारत का नाम रोशन कर सकते हे ? नही बिलकुल नही.....
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