प्रिय समीर भाई
आप के जाने की ख़बर आग की तरह फ़ैल गयी है. और उस आग में हम भी जले जा रहे है. हाय समीर भाई हमें छोड़कर मत जाओ. हम निरीह ब्लोगरों को आप की ही टिप्पणियों का सहारा है. अब कौन हमें सराहेगा और दुलारेगा. कुछ ग़लत लिखने पर कौन हमें समझायेगा. यहाँ तो तो गलतियों पर समझाने की बजाये खुन्खारने वाले ज्यादा है. इस आभासी दुनिया को अभी आपकी जरूरत है. उनको भी जो आपको कोस कर अपनी दूकान चलाते है. आप किसी की चिंता मत करो. केवल लिखते रहो. यही बात तो आप सभी से कहते रहे और अब आप ही इस बात से घबरा कर मैदान छोड़ रहे है.
एक स्पेशल बात जो आप से कबसे कहना चाह रही थी पर संकोच और आप के बुरा मान जाने के डर से नही कह पाती थी. यही कि आप फ़िल्म सत्या के कल्लू मामा जैसे लगते हो (प्लीस बुरा मत मानना, मन में था सो कह दिया. छोटी बहन का इतना तो हक़ बनता है. ) लेकिन सच में बहुत अच्छे. बहुत प्यारे और बहतरीन लेखक ...
14 comments:
Hi veeneta, great han, i am with you in this regard. hope smeer jee aapke baat ko sunenge"
Regards
Hi veeneta, great han, i am with you in this regard. hope smeer jee aapke baat ko sunenge"
Regards
सच कहा वीनीता जी आपने समीर जी हमारे मार्गदर्शक ही बन गए हैं अब शायद रूक जाएंगे धन्यवाद आपका उन्हें रोकने के लिए बहुत अच्छा लिखा
aap se sahmat hun. bahut accha .koi toh hai jiski kalam aaj bol rahi hai good
घबराये नही ,उन्हें कुछ रेस्ट चाहिए बस...देखना कुछ दिनों में एक धाँसू पोस्ट आयेगी
धन्यवाद, विनीता आप के कल्लू मामा जरुर आये गे, अरे केसे नही आते, हम पकड कर लाये गे, अभी थोडा सुस्ताने दो
मुझे तो लगता है , हमलोगों को छोड़कर वे जा ही नहीं सकते। देखिएगा , वे शीघ्र ही आएंगे और सबको चौंकाएंगे।
achcha laga dekh kar achchi tarahan se paish apni bhawanaon ko . yehi kala toh sab ke paas nahi hoti hai
Sahi kaha aapne.. sameer ji ab kahi nahi jayege :-).. aur yeh kya aapne unhe Satya ke Kallu mama ki upadhi de di :-)
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I don’t want to love you… but I do....
विनीता जी हमारे गुरु और सत्या के कल्लू मामा वापस
आने का ऐलान कर चुके है ! वो तो उनको ज़रा मस्ती
चढ़ गई थी ! आप चिंता ना करे ! शुभकामनाए !
अरे कल्लू मामा जरा मूड में आ गये थे और परीक्षा ले रहे थे कि उनकी विदाई की पोस्ट पर कितने कमेंट आते हैं। अब इतनी टिप्पणियों को छोड कर वे कहीं भी जाते, तो भी सुकून से जी नहीं पाते। इसीलिए मामा ने लौट आने का फैसला किया है।
आपकी चिट्ठी पढ़कर ही उतर आये समीरलालजी!
बहुत बहुत आभार. आपके कहने के बाद कैसे संभव था कि न आते. चलो, अब खुश हो जाओ. :)
विनीता जी
मेरी पत्नी ने भी जब आज समीर भाई की फोटो देखी तो उसके मुँह से भी अनायास ही निकल गया...अरे यह कल्लू मामा यहाँ कैसे? अतः अधिक अपराध बोध न करे. भगवान ने उन्हें शक्ल ही ऐसी दी है. लेकिन यह अपना कल्लू मामा दिल का हीरा है. अब उनके चिटठा जगत से जाने और आने की औपचारिकताए तो मेरे आने से से पहले ही पूरी हो चुकी हैं, अतः अब बासी कढी में बार-बार पलटा घुमाने का क्या लाभ. आप समीर भाई की छोटी बहन हैं इस रिश्ते से मेरी भी बहन ही हुई. वैसे आप जैसी चुलबुली बहन की कामना हमेशा से थी. लिखती रहिये, आपकी चुहलबाजी बड़ी लुभावनी लगती है.
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